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Showing posts from April, 2020

बाद तथा जैन धर्म में समानताएं

1 स्रोत बौद्ध तथा जैन धर्म दोनों की स्रोत उपनिषद ही थे। जैन व बौद्ध धर्म दोनों की पृष्ठभूमि आर्य संस्कृत की है। दोनों ही उपनिषदों के विचारों तथा दर्शन से प्रेरित हैं। बात तथा जैन धर्म ने उपनिषदों के सिद्धांतों को अपने अपने व्यवहार का स्वरूप प्रदान किया है। 2 सामाजिक भेदभाव के विरोधी  बौद्ध धर्म वर्ण व्यवस्था का विरोधी था उसी प्रकार जैन धर्म भी वर्ण व्यवस्था का विरोध करता था। सामाजिक समानता स्थापित करना दोनों धर्मों का उद्देश्य था अतः वे ऊंच - नीच जाति -पा ति  तथा भेदभाव का विरोध करते थे । 3 सिद्धांतों व उद्देश्यों में समानता  बात में जैन धर्म के अनेक सिद्धांत एक दूसरे के समान थे। दोनों का एक ही उद्देश्य था वैदिक धर्म का विरोध करना था।दोनों ही धर्मोंने कर्म ,पुनर्जन्म व मोक्ष के सिद्धांतों का अनुमोदन किया। इसके अतिरिक्त दोनों धर्म अहिंसा सच्चरित्र ता व नैतिकता पर बल दिया । 4 अनीश्वरवादी  बौद्ध एवं जैन धर्म ईश्वर को सृष्टिकर्ता के रूप में नहीं मानते थे। 5 जीवन के प्रति दृष्टिकोण दोनों ही धर्म का जीवन के प्रति दृष्टिकोण दुख प्रधान था अतः ...

कनिष्क प्रथम विजये

कनिष्क प्रथम कनिष्क प्रथम कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली शासक हुआ।उसमें चंद्रगुप्त जैसी वीरता और अशोक जैसा धार्मिक जोश था। कुषाण  सम्राटों वह सर्व शक्तिशाली तथा महान था। कनिष्क की विजये  सम्राट कनिष्क ने अपने पिता के साम्राज्य को विशाल करने का प्रयास किया। तीनों दिशाओ साम्राज्य विस्तार किया इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर उसने उत्तर उत्तर दक्षिण और पूर्व तीनों दिशाओं अपनी विजयों द्वारा अपने साम्राज्य की सीमाओं को बढ़ाया।  मगध की विजय - चीनी और बौद्ध श्रोताओं के आधार पर यह कहा जाता है कि कनिष्क ने मगध पर आक्रमण किया था और उसे विजिट किया था। तारा नाथ के अनुसार युद्ध का हर्जाना मांगने पर मगध नरेश ने बौद्ध विद्वान अश्वघोष तथा बुद्ध का शिक्षा कमंडल दे दिया था। कनिष्क के सिक्के गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर ,पटना ,वैशाली ,राजगीर, सुल्तानगंज और बंगाल आदि स्थानों पर मिले हैं। इससे मगध पर उसकी विजय का अनुमान लगाया जा सकता है। कनिष्क अश्वघोष से बहुत प्रभावित हुआ तथा उसकी प्रेरणा से ही उसने बौद्ध धर्म को धारण किया था। शक- क्षत्रपो के साथ युद्ध कनिष्का को पश्चिमी क्...