1 स्रोत
बौद्ध तथा जैन धर्म दोनों की स्रोत उपनिषद ही थे। जैन व बौद्ध धर्म दोनों की पृष्ठभूमि आर्य संस्कृत की है। दोनों ही उपनिषदों के विचारों तथा दर्शन से प्रेरित हैं। बात तथा जैन धर्म ने उपनिषदों के सिद्धांतों को अपने अपने व्यवहार का स्वरूप प्रदान किया है।
2 सामाजिक भेदभाव के विरोधी
बौद्ध धर्म वर्ण व्यवस्था का विरोधी था उसी प्रकार जैन धर्म भी वर्ण व्यवस्था का विरोध करता था। सामाजिक समानता स्थापित करना दोनों धर्मों का उद्देश्य था अतः वे ऊंच - नीच जाति -पा ति तथा भेदभाव का विरोध करते थे ।
3 सिद्धांतों व उद्देश्यों में समानता
बात में जैन धर्म के अनेक सिद्धांत एक दूसरे के समान थे। दोनों का एक ही उद्देश्य था वैदिक धर्म का विरोध करना था।दोनों ही धर्मोंने कर्म ,पुनर्जन्म व मोक्ष के सिद्धांतों का अनुमोदन किया। इसके अतिरिक्त दोनों धर्म अहिंसा सच्चरित्र ता व नैतिकता पर बल दिया ।
4 अनीश्वरवादी
बौद्ध एवं जैन धर्म ईश्वर को सृष्टिकर्ता के रूप में नहीं मानते थे।
5 जीवन के प्रति दृष्टिकोण
दोनों ही धर्म का जीवन के प्रति दृष्टिकोण दुख प्रधान था अतः दोनों का उद्देश्य मानव जाति का कल्याण करना वह उन्हें संसार रूपी दुख के सागर से मुक्ति दिलाना था।
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