मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण
चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य को अशोक ने उन्नति के चरम शिखर तक पहुंचाया, परंतु अशोक की मृत्यु के पश्चात मौर्य साम्राज्य पर संकट मंडराने लगा। तथा शीघ्र ही इस शक्तिशाली एवं सुप्रसिद्ध साम्राज्य का पतन हो गया। अशोक के उत्तराधिकारी, उसकी मृत्यु के पश्चात 50 वर्षों तक भी अपने साम्राज्य को अक्षुण्ण ना रख सके। 184 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ कि उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने हत्या कर दी तथा शुंग वंश की स्थापना कर मौर्य साम्राज्य का अंत कर दिया।
मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए निम्नलिखित कारण थे-
साम्राज्य का विभाजन
केंद्रीय सरकार के निर्मल होते ही अनेक प्रांतों ने अपनी स्वतंत्र घोषित कर दी।अपने शासन के अंतिम दिनों में शाही संगठन पर अशोक की पकड़ ढीली हो गई थी। तक्षशिला में जहां उसके पिता के शासनकाल में विद्रोह हो चुका था,मंत्रियों के दमन के परिणाम स्वरूप विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी। वहां का विद्रोह दबाने के लिए राजकुमार कुणाल को भेजा था। अशोक के निधन के पश्चात कश्मीर व गंधार स्वतंत्र हो गए थे।जो शासक सीमा प्रांतों में नियुक्त थे वे भी केंद्रीय शासन की इस दुर्बलता से लाभ उठाकर प्रायर स्वतंत्र हो गए थे।
दरबार के षड्यंत्र
मौर्य दरबार के सदस्य भी अनेक गुटों में विभक्त थे, तथा अपने हितों व पारस्परिक संघर्ष में वे राष्ट्रीय हितों को भी भूल जाते थे। षड्यंत्र के कारण मौर्य साम्राज्य को अनेक बार कठिनाई का सामना करना पड़ा।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अशोक द्वारा राज सिंहासन पर अधिकार करने का प्रयास वा उसके कारण हुआ गृह युद्ध है।
आर्थिक कारण
इतिहासकारों ने मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था व आर्थिक स्थिति को मौर्यों के पतन के लिए उत्तरदाई माना है। प्रो. कौशांबी का मत है किक उत्तर कालीन मौर्य के समय में अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त थी। इसी कारण नए-नए पर लगाए गए थे आर्थिक कारणों व करो की अधिकता ने निश्चित रूप से मौर्य पतनके लिए सहायता बनी। करो की अधिकता से प्रजा में असंतोष उत्पन्न हो गया था । जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन अग्रसर होने लगा था।
ब्राह्मण प्रतिक्रिया
मौर्य साम्राज्य के पतन का एक कारण सूक्ष्म किंतु गंभीर था। यह था मौर्य साम्राज्य के विरोध में वैदिक प्रतिक्रिया। महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री ने भी इस विषय में लिखा है कि पुष्यमित्र का विद्रोह अशोक की बौद्ध धर्म के प्रति पक्षपातपूर्ण नीति व उसके उत्तराधिका रियों जैन मत के प्रति पक्षपातपूर्ण नीति व उसके विरुद्ध ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया का परिणाम था।
अकुशल उत्तराधिकारी
मौर्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों में सर्वप्रथम अशोक के उत्तराधिकारियों का निर्बल एवं आयोग होना था । राजतंत्रीय है शासन प्रणाली में राज्य की सफलता एवं विफलता उसके शासन की योग्यता अथवा अयोग्यता पर निर्भर करती है। अशोक के उत्तर अधिकारियोंअ केहोने पर उसका पतन होना स्वाभाविक था ।
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